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दर्द ये बेशक़ ! दरियाँ का होगा... कश्ती आखिर में ,

दर्द ये बेशक़ ! दरियाँ का होगा...
कश्ती आखिर में , 
जो किनारा का होगा...

और दूर तक निगाहे जाती है मगर ,
मंजिल जो शायद ,
अब वो हमारा न होगा...!! दर्द ये बेशक़ ! दरियाँ का होगा...
कश्ती आखिर में , 
जो किनारा का होगा...

और दूर तक निगाहे जाती है मगर ,
मंजिल जो शायद ,
अब वो हमारा न होगा...!!
दर्द ये बेशक़ ! दरियाँ का होगा...
कश्ती आखिर में , 
जो किनारा का होगा...

और दूर तक निगाहे जाती है मगर ,
मंजिल जो शायद ,
अब वो हमारा न होगा...!! दर्द ये बेशक़ ! दरियाँ का होगा...
कश्ती आखिर में , 
जो किनारा का होगा...

और दूर तक निगाहे जाती है मगर ,
मंजिल जो शायद ,
अब वो हमारा न होगा...!!