चाँद चमकता रह जाएगा, चाँदनी छुप जाएगी घटाओं में , वो आएगी, मुस्कुराएगी, फिर मुखड़ा छुपा लेगी दुपट्टों में ; हर दफ़ा कैसे, दीदार मुक़्क़मल हो जाए उनका , पार लगने को होगी जब, कश्ती डूब जाएगी किनारों में ।। ◆Kumar Prince Vidyarthi Kumar Prince Vidyarthi