ये कैसी शौहरत है ये कैसा पैमाना है भूल गई है दुनिया देखो सबको इक दिन जाना है सब मामूली से हीरों को सर पर लगाए बैठे हैं मिट्टी के अमोल कडों को बैरी बनाए बैठे हैं रौंद रहे हैं इछुक सारे इच्छाएं इस माटी की दानी-भिक्षुक, भिक्षुक-दानी यही लगाए बैठे हैं मैं नहीं हूँ कुछ भी जो बतलाऊँ इनको सही है क्या सब हैं यहाँ बड़े ज्ञानी सच को झुठलाए बैठे हैं ये कैसी शौहरत ये कैसा पैमाना #nojoto #nojotolive #nature #nojotohindi #nojotopoetry