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कौन है जग में इतना सरल माँ पितु के वचनों को प्राणो

कौन है जग में इतना सरल
माँ पितु के वचनों को प्राणों से प्रिय जो मान चले

सदा पाई जिस कैकयी माँ से ममता
कटु वचन भी सुन उनके जो चेहरे पर मुस्कान धरे

कल तक थे जो भावी राजा
सब कुछ खोता देख भी जो हर आज्ञा शिरोधार्य करे

प्राण जाए पर न जाए पितु वचन
सिय लक्ष्मण का हाथ धर सहर्ष वन गमन स्वीकार्य कहे

सीखो प्रभु की सीख माँ पिता का क्या स्थान
देव भी हों नतमस्तक जिनके समक्ष हम भी उनका यूँ हरदम सम्मान करें

©Divya Joshi श्रीराम वनवास प्रसंग
कौन है जग में इतना सरल
माँ पितु के वचनों को प्राणों से प्रिय जो मान चले

सदा पाई जिस कैकयी माँ से ममता
कटु वचन भी सुन उनके जो चेहरे पर मुस्कान धरे

कल तक थे जो भावी राजा
कौन है जग में इतना सरल
माँ पितु के वचनों को प्राणों से प्रिय जो मान चले

सदा पाई जिस कैकयी माँ से ममता
कटु वचन भी सुन उनके जो चेहरे पर मुस्कान धरे

कल तक थे जो भावी राजा
सब कुछ खोता देख भी जो हर आज्ञा शिरोधार्य करे

प्राण जाए पर न जाए पितु वचन
सिय लक्ष्मण का हाथ धर सहर्ष वन गमन स्वीकार्य कहे

सीखो प्रभु की सीख माँ पिता का क्या स्थान
देव भी हों नतमस्तक जिनके समक्ष हम भी उनका यूँ हरदम सम्मान करें

©Divya Joshi श्रीराम वनवास प्रसंग
कौन है जग में इतना सरल
माँ पितु के वचनों को प्राणों से प्रिय जो मान चले

सदा पाई जिस कैकयी माँ से ममता
कटु वचन भी सुन उनके जो चेहरे पर मुस्कान धरे

कल तक थे जो भावी राजा
divyajoshi8623

Divya Joshi

Silver Star
Growing Creator