क्या लिखूँ अब जैसे कुछ लिखा नहीं जाता, सोचने बैठे तो सोया नहीं जाता, ये दुनियां की तबाही देख कर, रोते हैं अब रोया नहीं जाता, ये पन्ने कोरा कागज़ ही रहने दे, कोई पूछें तो कुछ बोला नहीं जाता, याद आते है वो आज़ाद लम्हे, क्यों अब वो दिन होया नही जाता। ©Shaikh Shabana #missingdays