तरुवर से कर देखिए , होते सच्चे मित्र । देख बदलते वे नहीं , अपना कभी चरित्र ॥ अपना कभी चरित्र ,गिराएँ भी तो कैसे । उपकारी के वंश ,नहीं हैं ऐसे वैसे ॥ देते पल पल साथ , लगाएँ अपने कर से । 'किशन ' न होती हानि ,मित्रता में तरुवर से ॥ जय श्री कृष्ण ©krishna #tree