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क्या कसूर बता ऐ ज़िन्दगी,क्यों दिए जा रही गमों पे

क्या कसूर बता ऐ ज़िन्दगी,क्यों दिए जा रही गमों पे गम।
कब तलक बर्दाश्त करूं,दर्द ए ज़िन्दगी के जुल्मों सितम।
कैसे सह लूं धौकें पे धौंके,बर्दाश्त की भी होती है सरहद।
ज़िन्दगी ए छलावे के मंजर देख,मेरी आंखें रोती है बेहद।
JP lodhi 14/03/2022

©J P Lodhi. #adventure 
#dard_e_zindagi
क्या कसूर बता ऐ ज़िन्दगी,क्यों दिए जा रही गमों पे गम।
कब तलक बर्दाश्त करूं,दर्द ए ज़िन्दगी के जुल्मों सितम।
कैसे सह लूं धौकें पे धौंके,बर्दाश्त की भी होती है सरहद।
ज़िन्दगी ए छलावे के मंजर देख,मेरी आंखें रोती है बेहद।
JP lodhi 14/03/2022

©J P Lodhi. #adventure 
#dard_e_zindagi
jagdishprasadlod3535

J P Lodhi.

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