क्यों गूँज रही है, आवाजें खेतों और गलियारो से पूँछ रहा यह देश मेरा, सत्ता के इन रखवालो से।। सुनी नही जब चीखें तुमने दर्द कहाँ से समझोगे छप्पन भोग ओ खाने वालों भूख कहाँ से समझोगे क्यों गूँज रही है, आवाजें खेतों और गलियारो से पूँछ रहा यह देश मेरा, सत्ता के इन रखवालो से।। ( अनुशीर्षक में... क्यों गूँज रही है, आवाजें खेतों और गलियारो से पूँछ रहा यह देश मेरा, सत्ता के इन रखवालो से।। सुनी नही जब चीखें तुमने दर्द कहाँ से समझोगे छप्पन भोग ओ खाने वालों भूख कहाँ से समझोगे