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समाज एक ही पर, विधवा महिलाएं आधुनिकता कि आड़ में,

समाज एक ही पर, 
विधवा महिलाएं आधुनिकता कि आड़ में, 
अपनी ही संस्कृति का परित्याग करने पर तुली हुई हैं। 
और सुहागिन महिलाओं के सजने संवरने पर व्यंग्य बाण चलाए जाते हैं। क्या इसी रूप में बाकी रह गए हैं सामाजिक कायदे।

©rajeshwari Thakur
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