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भरतपुर का खजाना (कहानी) यह कहानी भारत देश के एक छो

भरतपुर का खजाना
(कहानी) यह कहानी भारत देश के एक छोटे शहर भरतपुर की है। इस शहर में एक छोटी सी हवेली थी। हवेली बहुत ही सुंदर और आकर्षक था। हवेली में एक बड़ा सा खजाना भी था। खजाने में इतना धन हीरा मोती सोना - चांदी से भरा था कि पूरे शहर की आबादी को एक वर्ष तक किसी आपातकालीन परिस्थिति में आराम से खिलाया जा सकता था।

     शहर के हवेली एवं खजाने की चर्चा अपने शहर में ही नहीं दूसरे शहरों में भी होती थी। यहां तक की विदेशों में वह बहुत चर्चित एवं मशहूर था। जो चीज ज्यादा चर्चित एवं मशहूर होता है उसपर खतरे भी बढ़ जाते हैं। यही बात उस पर भी लागू हुआ। उस खजाने के साथ साथ उस हवेली पर भी खतरा बढ़ गया। बढ़ते खतरे को देखकर शहर के राजा को चिंता होने लगी। एक दिन राजा ने मंत्रियों एवं सलाहकारों की बैठक बुलाई। बैठक में हवेली एवं खजाने की सुरक्षा के लिए विचार विमर्श किया गया। विचार विमर्श के बाद सख्त सुरक्षा व्यवस्था का इंतजाम किया गया। पहले की अपेक्षा सुरक्षा गार्ड बढ़ा दिये गये एवं सुरक्षा की चाक चौबंद व्यवस्था की गई। प्रत्येक आगंतुक की तलाशी के बाद ही शहर में प्रवेश दिया जाने लगा। शहर से बाहर जानेवालों पर भी ध्यान रखा जाने लगा।।

शहर के दुश्मन की बूरी नजर शहर के हवेली एवं खजाने पर था। शहर की प्रगति भी दुश्मनों को सुहा नहीं रहा था। इसलिए शहर के दुश्मन जो कि शहर के पड़ोसी ही था भरतपुर के खजाने को साफ करवाने का विचार करने लगा। यदि शहर का खजाना चुरा लिया जाता तो उसकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो जाती और उसे दूसरे देशों पर निर्भर होना पड़ता। इस कारण से खजाने को चुराना आवश्यक था। परन्तु हवेली की सुरक्षा व्यवस्था इतना सख्त था कि परिंदा भी पर नहीं मार सकता था। दुश्मन देश के बार बार कोशिश करने के बावजूद उसे सफलता नहीं मिल रही थी। इस काम को अंजाम देने के लिए हवेली के प्रमुख लोगों को मिलाना जरूरी था। परन्तु ऐसा कौन व्यक्ति हो सकता था जो अपने शहर (वतन) से गद्दारी कर सके। ऐसा वही व्यक्ति कर सकता था जिसे सत्ता लालच हो एवं धूर्त हो एवं हवेली में महत्वपूर्ण ओहदा रखता हो।राजा ने अपने खुफिया तंत्र से पता किया कि भरतपुर का मंत्री थोड़ा लोभी किस्म का है। यह जानकर राजा की आंखों में रोशनी दौड़ आई। 

  दुश्मन देश के राजा ने अपने देश में वार्षिक त्योहार के अवसर पर भरतपुर के मंत्री को आमंत्रित किया। उनका शाही स्वागत किया गया। खान पान की पूरी व्यवस्था की गई। खान पान की इतनी व्यवस्था थी कि उन्होंने इससे पहले कभी देखा नहीं होगा। मानो स्वर्ग का अहसास हो रहा हो। मंत्री राजा के आवभगत से मंत्रमुग्ध हो गया। राजा ने उनसे गुप्त बातचीत की। राजा ने कहा क्या आप मेरे लिए एक छोटा सा काम करेंगे? उन्होंने उत्तर दिया क्यों नहीं। आपने हमारी इतनी आवभगत की हमारा भी कुछ फर्ज बनता है कि आपका काम करें। जब राजा ने खजाने की बात की तो उनके होश उड़ गए। बोले जान प्यारी क्या नहीं हमारी। राजा ने अपनी बातों से उनको संतुष्ट किया। बोला आपको कुछ नहीं करना है। सभी काम हमारा आदमी करेगा। आपको सिर्फ हमारे आदमी को अपने हवेली में जगह दे दें। आपको इस काम के लिए खजाने में आधी हिस्सेदारी एवं भरतपुर शहर का राजा बना दिया जाएगा। मंत्री का लोभी एवं शैतानी मन बाहर आ गया। उन्होंने इस काम के लिए हामी भर दी। शेष काम दुश्मन देश का रह गया।
भरतपुर का खजाना
(कहानी) यह कहानी भारत देश के एक छोटे शहर भरतपुर की है। इस शहर में एक छोटी सी हवेली थी। हवेली बहुत ही सुंदर और आकर्षक था। हवेली में एक बड़ा सा खजाना भी था। खजाने में इतना धन हीरा मोती सोना - चांदी से भरा था कि पूरे शहर की आबादी को एक वर्ष तक किसी आपातकालीन परिस्थिति में आराम से खिलाया जा सकता था।

     शहर के हवेली एवं खजाने की चर्चा अपने शहर में ही नहीं दूसरे शहरों में भी होती थी। यहां तक की विदेशों में वह बहुत चर्चित एवं मशहूर था। जो चीज ज्यादा चर्चित एवं मशहूर होता है उसपर खतरे भी बढ़ जाते हैं। यही बात उस पर भी लागू हुआ। उस खजाने के साथ साथ उस हवेली पर भी खतरा बढ़ गया। बढ़ते खतरे को देखकर शहर के राजा को चिंता होने लगी। एक दिन राजा ने मंत्रियों एवं सलाहकारों की बैठक बुलाई। बैठक में हवेली एवं खजाने की सुरक्षा के लिए विचार विमर्श किया गया। विचार विमर्श के बाद सख्त सुरक्षा व्यवस्था का इंतजाम किया गया। पहले की अपेक्षा सुरक्षा गार्ड बढ़ा दिये गये एवं सुरक्षा की चाक चौबंद व्यवस्था की गई। प्रत्येक आगंतुक की तलाशी के बाद ही शहर में प्रवेश दिया जाने लगा। शहर से बाहर जानेवालों पर भी ध्यान रखा जाने लगा।।

शहर के दुश्मन की बूरी नजर शहर के हवेली एवं खजाने पर था। शहर की प्रगति भी दुश्मनों को सुहा नहीं रहा था। इसलिए शहर के दुश्मन जो कि शहर के पड़ोसी ही था भरतपुर के खजाने को साफ करवाने का विचार करने लगा। यदि शहर का खजाना चुरा लिया जाता तो उसकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो जाती और उसे दूसरे देशों पर निर्भर होना पड़ता। इस कारण से खजाने को चुराना आवश्यक था। परन्तु हवेली की सुरक्षा व्यवस्था इतना सख्त था कि परिंदा भी पर नहीं मार सकता था। दुश्मन देश के बार बार कोशिश करने के बावजूद उसे सफलता नहीं मिल रही थी। इस काम को अंजाम देने के लिए हवेली के प्रमुख लोगों को मिलाना जरूरी था। परन्तु ऐसा कौन व्यक्ति हो सकता था जो अपने शहर (वतन) से गद्दारी कर सके। ऐसा वही व्यक्ति कर सकता था जिसे सत्ता लालच हो एवं धूर्त हो एवं हवेली में महत्वपूर्ण ओहदा रखता हो।राजा ने अपने खुफिया तंत्र से पता किया कि भरतपुर का मंत्री थोड़ा लोभी किस्म का है। यह जानकर राजा की आंखों में रोशनी दौड़ आई। 

  दुश्मन देश के राजा ने अपने देश में वार्षिक त्योहार के अवसर पर भरतपुर के मंत्री को आमंत्रित किया। उनका शाही स्वागत किया गया। खान पान की पूरी व्यवस्था की गई। खान पान की इतनी व्यवस्था थी कि उन्होंने इससे पहले कभी देखा नहीं होगा। मानो स्वर्ग का अहसास हो रहा हो। मंत्री राजा के आवभगत से मंत्रमुग्ध हो गया। राजा ने उनसे गुप्त बातचीत की। राजा ने कहा क्या आप मेरे लिए एक छोटा सा काम करेंगे? उन्होंने उत्तर दिया क्यों नहीं। आपने हमारी इतनी आवभगत की हमारा भी कुछ फर्ज बनता है कि आपका काम करें। जब राजा ने खजाने की बात की तो उनके होश उड़ गए। बोले जान प्यारी क्या नहीं हमारी। राजा ने अपनी बातों से उनको संतुष्ट किया। बोला आपको कुछ नहीं करना है। सभी काम हमारा आदमी करेगा। आपको सिर्फ हमारे आदमी को अपने हवेली में जगह दे दें। आपको इस काम के लिए खजाने में आधी हिस्सेदारी एवं भरतपुर शहर का राजा बना दिया जाएगा। मंत्री का लोभी एवं शैतानी मन बाहर आ गया। उन्होंने इस काम के लिए हामी भर दी। शेष काम दुश्मन देश का रह गया।