अफ़साना है आज भी अफ़साना इश्क़ तेरा मेरा। कहां जमाने ने जाना इश्क़ तेरा मेरा।। यूं तो बने है कई अफ़साने इश्क़ के मगर। कहां मुमकिन है भुलाना इश्क़ तेरा मेरा।। सच ना हुआ,बन गया अफ़साना फिर भी। बना गया गैरों को दीवाना इश्क़ तेरा मेरा।। #अफ़साना