पल भर में सुलझ जाती हैं उलझी हुई ज़ुल्फ़ें, मगर तमाम उम्र कट जाती है वक़्त के सुलझने में, मिले फुर्सत तो सुलझा दूंगा तेरी उलझी हुई ज़ुल्फ़ें, आज ज़रा उलझा हुं "वक्त" को सुलझाने में। कोष्टा साब की कलम से 🙏🏻 कोष्टा साब की कलम से ✍️✍️