प्रेम और पराजय एक इंसान के जीवन में कई बार ऐसे मोड़ आते हैं | जब उसे लगता है की वो जिसकिसी से भी प्रेम करता है | उसने अपना मानता है..वो शख्स उसे समझ नहीं पाता या फिर उसके प्रेम को ठुकरा देता है और फिर वो शख्स निराश होकर पराजित महसूस करता है.. "प्रेम में विफल " पर कोई सच्चे मायनों में प्रेम में विफल हो सकता है क्या..?| मेरा मानना है नहीं कभी नहीं... जिसे तुम पराजय मान रहे हो.. वो तो तुम्हारे अहंकार की पराजय है