आज कुछ अलग भाव #रो_लेता_हूँ दर्द आँखों में छुपाकर रो लेता हूँ! कसक होठों में दबाकर रो लेता हूँ!1! तेरी गलियों को मुड़े भूले से ना कभी, पैरों में जंजीरें चढ़ाकर रो लेता हूँ!2! धडकनों को नहीं इजाजत नाम लें, जज्बात दरिया में बहाकर रो लेता हूँ!3! अजनबीपन दिखाता हूँ हर जिक्र पर, नाम तेरा यूँ मैं बचाकर रो लेता हूँ!4! कोई ये ना कहे कि कैसी है समझ, थोड़ी नासमझी दिखाकर रो लेता हूँ!5! करने लगा हूँ मै संगत दरवेशों की, दिल से एहसास हटाकर रो लेता हूँ!6! बहुत भागें तेरे इशारों को सच मान, जिस्म वीरानों में नचाकर रो लेता हूँ!7! कहीं दिखे ना सुरत औ सीरत तेरी, इश्क तेरा लहू में बसाकर रो लेता हूँ!8! बचने की उम्मीद गिरीश की नहीं बाकी, कफ़न को चादर सा बनाकर रो लेता हूँ!9! गजल