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क्यों? चंद लम्हों में, फैसले कर लेते हैं लोग कैसे?

क्यों? चंद लम्हों में,
फैसले कर लेते हैं लोग
कैसे?
किसी की बातो में
आ जाते हैं लोग।
क्या? किसी के कहने 
और तुम्हारे सुनने से
वो झूठ सच हो गया।
अरे! बहुत बोला तुमने
अब बस हो गया।
ये नाटक नही हैं, "जनाब"
किरदार हैं जिंदगी के
आंखिर क्यों?
बनी कश्ती मे
धूल उड़ाते हैं लोग
कैसे? किसी की बातो मे
आ जाते हैं लोग।
अरे! हमे नही फिकर किसी की
और क्यू? हम परवाह करे।
नही हमे उनसे मतलब
वो
कुछो के तलवे चाटते लोग।।

©Prince Ki Kalam Se..@ #Ilteza_Request 

#Darknight
क्यों? चंद लम्हों में,
फैसले कर लेते हैं लोग
कैसे?
किसी की बातो में
आ जाते हैं लोग।
क्या? किसी के कहने 
और तुम्हारे सुनने से
वो झूठ सच हो गया।
अरे! बहुत बोला तुमने
अब बस हो गया।
ये नाटक नही हैं, "जनाब"
किरदार हैं जिंदगी के
आंखिर क्यों?
बनी कश्ती मे
धूल उड़ाते हैं लोग
कैसे? किसी की बातो मे
आ जाते हैं लोग।
अरे! हमे नही फिकर किसी की
और क्यू? हम परवाह करे।
नही हमे उनसे मतलब
वो
कुछो के तलवे चाटते लोग।।

©Prince Ki Kalam Se..@ #Ilteza_Request 

#Darknight