पुलिस के आधुनिकीकरण और सुधार के लिए बनी संसद की स्थाई समिति ने अपनी रिपोर्ट में पुलिस में महिलाओं के कम प्रतिनिधि तत्व पर चिंता जताई है रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस में सिर्फ 10 पॉइंट 3 प्रतिशत महिला है समिति ने गृह मंत्रालय से पुलिस में महिलाओं की भागीदारी 33% तक बढ़ाने के लिए रूपरेखा बनाने की सलाह दी है हर जिले में एक ऐसा थाना स्थापित करने का सुझाव दिया है जहां सभी कर्मचारी महिला हो एक सिफारिश यह भी है कि पुलिस में महिलाओं की नियुक्ति पुलिस सिपाहियों के पदों पर करने की बजाय महिलाओं के अलग-अलग पद सृजित करने की जानी चाहिए पुलिस की कमी यह साबित करती है कि देश में लैंगिक समानता महिला सशक्तिकरण के नारों और जमीनी हकीकत में कितना अंतर है आंकड़े इसलिए भी अहम है क्योंकि महिला का पुलिस में होना पुलिस की क्षमता और महिला की सुरक्षा को प्रभावित करता है थाना पुलिस अधिकारी कर्मी किसी पीड़ित महिला की समस्याओं पर संवेदना पूर्ण रूप नहीं अपनाते यौन उत्पीड़न के मामले में पीड़ित महिला किसी पुरुष अधिकारी से रिपोर्ट करने में भी असहज महसूस करती है यह स्वाभाविक है कि एक महिला किसी महिला अधिकारी से अपनी पीड़ा सहज रूप से बयां कर सकती है इसलिए संयुक्त राष्ट्र ने भी विशेष लिंग आधारित पुलिस सिंगी की आवश्यकता पर बल दिया है ©Ek villain #पुलिस में बड़े महिला की कर्मियों की संख्या #selflove