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रोज चल रहे रोड पर मुसाफिरों की तरह, कोई हमसे पूछो

रोज चल रहे रोड पर मुसाफिरों की तरह,
कोई हमसे पूछो भूख क्या होती है,

इस राजनीति युग दुनिया में जी रहे अपनों के लिए,
वरना मौत हर रोज छूकर लौट जाती है,

माना मै लालची था,
पर मेरी बेबसी को दुनिया मुझे निकम्मा समझने लगी,

मैंने जिसका घर बनवाया उन्होंने मुझे घर से निकाल दिया,
क्या कहे गैरों को हमें अपनो ने ही ठुकरा दिया,

नए सपने लेकर अब शहर की ओर न जाएंगे,
गावों किएक छोटी सी कुटिया में फिर से अपना घर बसाएंगे। #migraine worker
रोज चल रहे रोड पर मुसाफिरों की तरह,
कोई हमसे पूछो भूख क्या होती है,

इस राजनीति युग दुनिया में जी रहे अपनों के लिए,
वरना मौत हर रोज छूकर लौट जाती है,

माना मै लालची था,
पर मेरी बेबसी को दुनिया मुझे निकम्मा समझने लगी,

मैंने जिसका घर बनवाया उन्होंने मुझे घर से निकाल दिया,
क्या कहे गैरों को हमें अपनो ने ही ठुकरा दिया,

नए सपने लेकर अब शहर की ओर न जाएंगे,
गावों किएक छोटी सी कुटिया में फिर से अपना घर बसाएंगे। #migraine worker