अब दिल को मेरे, कुछ भाता नहीं । लोग हैं हज़ार, मगर कोई अपनाता नहीं ।। कौन समझे अब हाल-ए-दिल हमारा ये । सुनता है हर कोई, मगर कोई समझता नहीं ।। अकेला हूं मैं यहाँ, काफी लंबे अरसे से । काफी लंबे अरसे से, यहाँ कुछ ठीक भी नहीं ।। हमसे बिछड़ कर शायद वो खुश हैं बहुत । उनके बाद हालात ये, कुछ ठीक भी नहीं ।। करते हैं लोग अब, बातें उनके लौट आने की । मुझे उनके आने की, अब कोई उमीद ही नहीं ।। लौट आए अगर फिर भी वो, तो उनसे कहना । मर गया वो, जो तुम्हारा कभी था ही नहीं ।। और हाँ ! "जय" बुरा हैं बहुत मेरी जाना । होता नहीं नाम,अगर वो तुम पर लिखता नहीं ।। ©Jayesh gulati लौट आए अगर फिर भी वो, तो उनसे कहना । मर गया वो, जो तुम्हारा कभी था ही नहीं ।। . . . . . .