पेड़ों से पत्तों की भाँति युवा जिंदगी से टूट रहे ना जाने किन वजहों से उनके साथ हमसे छूट रहे मन मस्तिष्क पर अथाह दबाव ना वह सह सक रहे नाता तोड़ इस जग से जाने पर वह मजबूर हो रहे वेदना पीड़ा की इन बातों को गंभीर से इन विषयों को ना कोई प्रकट कर रहे लगा हर कोई भार स्वरूप व्यस्त जीवन में ना कोई किसी को समझ रहे युवाओं की सर्वाधिक आबादी में युवा ही युवा से बिछड़ रहे ©kirtesh #youth #endyouthvoilence #nojoto #poem