उसकी आँखों में भी क्या कशिश थी... जो हर पल मुझे देख ने को तरसती थी... आई थी जो मेरे लिए अपने परिवार को छोड़कर,निभाने रीति रिवाजों को । लाल जोड़े में थी वो जब, पहली बार उसने मेरा हाथ पकड़ा था। देखा था मैने उसकी आंखों में एक दर्द था जुदाई का। शायद उस दर्द से में अनजान था। सोचा मने कसे दर्द सहती है एक औरत, अपने घर परिवार की जुदाई का। 🔹 OPEN FOR ALL #stantia6sept 🔹 A Challenge by Stantia Club 🔹 BG credits Zen Toronto 🔹 Enchant this open canvas with the voice of your soul 🧚 🔹Please keep your Artwords aestethic 🙏 🔹Please don't extend in caption. 🔹We will gaze you up closely like a candid camera for your artwork.📸😘 🔹The exeptional Artwords will always be rewarded.