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चलो अब कसम से इस दिल के अन्धरों में ! मोहब्बत का क

चलो अब कसम से इस दिल के अन्धरों में !
मोहब्बत का कुछ चिराग जलाते चलते हैं !!

समा को रौशन करती दुआ की रोशनी जो !
अब खुद को खुदा की रोशनी से इश्क कराते चलतें हैं !!

बिखरनें को है कुछ नही समा में सवरनें के अलावा !
अब अपनें संवरनें को उसके सब्रने से इजहार कराते चलतें हैं !!

इक करार तो है ही अब शायद सन्धि भी हो जाए उससे !
चलो अब कुछ देर में खुद को अपनें महबूब से मिलातें चलतें हैं !!
                                                          -Sp"रूपचन्द्र"

©Sp"रूपचन्द्र"✍ #सन्धि ,#इजहार

#Sunrise
चलो अब कसम से इस दिल के अन्धरों में !
मोहब्बत का कुछ चिराग जलाते चलते हैं !!

समा को रौशन करती दुआ की रोशनी जो !
अब खुद को खुदा की रोशनी से इश्क कराते चलतें हैं !!

बिखरनें को है कुछ नही समा में सवरनें के अलावा !
अब अपनें संवरनें को उसके सब्रने से इजहार कराते चलतें हैं !!

इक करार तो है ही अब शायद सन्धि भी हो जाए उससे !
चलो अब कुछ देर में खुद को अपनें महबूब से मिलातें चलतें हैं !!
                                                          -Sp"रूपचन्द्र"

©Sp"रूपचन्द्र"✍ #सन्धि ,#इजहार

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