ओढ़ कर तमाम रात कबा परेशान रहा, मैने जिसको भी बनाया राज़दाँ परेशान रहा, घर से बाहर निकला तो किराए पर ली जगह, दीवारों से उलझता था, सो मकां परेशान रहा, सारी उम्र गुजारी खुद सा ढूंढते मैने, मिला जब मुझे मुझसा हमनवा परेशान रहा, क्या कहूं अब अपना, मैं बायस ए उदासी, और क्या कहे वो आदम, जो बेजा परेशान रहा, चाहा बहुत सुकून को, कोई दे मुझे बता, फिरता रहा मैं मारा, ढूंढा बहुत पता परेशान रहा, मेरा मर्ज से मरासिम, मुझको समझ न आया, पाई न ज़रा राहत, खाता रहा दवा परेशान रहा...! मेरा मर्ज से मरासिम, मुझको समझ न आया, पाई न ज़रा राहत, खाता रहा दवा परेशान रहा.....! कबा - चादर बायस - कारण मरासिम - संबंध