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एक टूटा हुआ पत्ता कभी मैं भी एक हरे भरे दरख़्त का

एक टूटा हुआ पत्ता
कभी मैं भी एक हरे भरे दरख़्त का छोटा सा हिस्सा था।
टहनी पर फला फूला,पेड़ के संग जुड़ा मेरा किस्सा था।
कुल्हाड़ी के वार से सहम वृक्ष का पत्ता पता हिलता था।
पतझड़ के झौंकों से टूट कर जुदा,खत्म हुआ रिश्ता था।
JP lodhi 10/05/2022

©J P Lodhi.
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