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शेहरा हो या हो दरिया अच्छा लगता है, तुम से मिलके क

शेहरा हो या हो दरिया अच्छा लगता है,
तुम से मिलके कितना अच्छा लगता है।

अब इसे दिल्लगी कहो या कहो दोस्ती अच्छी
वैसे तुम्हारे नाम का ताना अच्छा लगता है।

ये तो तुम्हारी मर्ज़ी है के तुम्हे किसका होना है,
वैसे तुम्हारे नाम में गांधी होना अच्छा लगता है।

हर एक शक्स क्यों है यहां वफा की कसमें लिए,
पाजी कभी कभी बेवफा होना अच्छा लगता है।

तेरी सहेलियां भी रखती है आजकल नज़र मुझपर,
कहती है वो शायर लंबे बाल वाला कितना अच्छा लगता है।

#paaji✍️ achha lgta h
शेहरा हो या हो दरिया अच्छा लगता है,
तुम से मिलके कितना अच्छा लगता है।

अब इसे दिल्लगी कहो या कहो दोस्ती अच्छी
वैसे तुम्हारे नाम का ताना अच्छा लगता है।

ये तो तुम्हारी मर्ज़ी है के तुम्हे किसका होना है,
वैसे तुम्हारे नाम में गांधी होना अच्छा लगता है।

हर एक शक्स क्यों है यहां वफा की कसमें लिए,
पाजी कभी कभी बेवफा होना अच्छा लगता है।

तेरी सहेलियां भी रखती है आजकल नज़र मुझपर,
कहती है वो शायर लंबे बाल वाला कितना अच्छा लगता है।

#paaji✍️ achha lgta h