मैं तो पुरुष हूं। मुझे फर्क नहीं पड़ता। दिल तो है नहीं। एक पत्थर है। जो कभी पिघलता नहीं। कभी किसी के आंसू देखकर। कभी किसी की मुस्कान देखकर। मुझे तो हक नहीं नाराज़ होने का। मुझे हक नहीं खिलखिलाने का। मुझे हक नहीं आंसू बहाने का। किसी से कोई demand करने का। किसी से कोई expect करने का। अगर बात करूं तो flirt करता हूं। ना बात करूं तो attitude रखता हूं। आंसू बहाऊं तो कमजोर। ना बहाऊं तो पत्थर। देखकर मुस्करा दूं तो दिलफेंक। ignore करूं तो गुरूर रखता हूं। किसी को इज्ज़त दूं तो formality इज्ज़त ना दूं तो arrogant दिखता हूं। मृत्युंजय #Purush