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पत्थरों पर जल चढ़ाया , देवता ही काम आया । अब तुम्ह

पत्थरों पर जल चढ़ाया ,
देवता ही काम आया ।

अब तुम्हें न वोट देंगे 
आज तुमने ही सिखाया। 

भूखे तन से पूछियेगा?
धर्म ने क्या-क्या सिखाया।

ये उदासी रात की है,
या बिछा है मेरा साया । 

पेड़ भी हंसते है अक्सर 
क्या कभी घर में उगाया।

तुम फ़क़त हो दोस्त "सञ्जय"
कहके तुमने दिल दुखाया।

सञ्जय किरार #ThepoetsLibrary
#Sanjaykirar
पत्थरों पर जल चढ़ाया ,
देवता ही काम आया ।

अब तुम्हें न वोट देंगे 
आज तुमने ही सिखाया। 

भूखे तन से पूछियेगा?
धर्म ने क्या-क्या सिखाया।

ये उदासी रात की है,
या बिछा है मेरा साया । 

पेड़ भी हंसते है अक्सर 
क्या कभी घर में उगाया।

तुम फ़क़त हो दोस्त "सञ्जय"
कहके तुमने दिल दुखाया।

सञ्जय किरार #ThepoetsLibrary
#Sanjaykirar