सब चोलों में चेतन बहता, पिंड के नवों ही द्वारे । वह जीतेगा नर चोले जो , दसवाँ द्वार सम्हाले ।।टेर।। नौ द्वारों में ज्यादा बरते, स्वामी दूरी धारे । दसवें दर से गैल गई है, स्वामी के दरबारे (1) शब्द की धारा देगा स्वामी, सूरत को आधारे । सतगुरू छवि में दर्शन देकर, कर देगा भव पारे (2) ऐसा मौका कलियुग आया, सतगुरू जग अवतारे । राधास्वामी द्याल ने उनको भेजा, भव से करने पारे (3) *राधास्वामी* राधास्वामी प्रीति बानी 5-115 वह जीतेगा नर चोले जो !