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अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें

अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें





अहमद फ़राज़
( पूरी ग़ज़ल अनुशीर्षक में पढ़ें ) #NojotoQuote Ahmad Faraz Shayari
Ahmad Faraz Shayari in Hindi

अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें 
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें 

ढूँढ उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती 
ये ख़ज़ाने तुझे मुमकिन है ख़राबों में मिलें
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें





अहमद फ़राज़
( पूरी ग़ज़ल अनुशीर्षक में पढ़ें ) #NojotoQuote Ahmad Faraz Shayari
Ahmad Faraz Shayari in Hindi

अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें 
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें 

ढूँढ उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती 
ये ख़ज़ाने तुझे मुमकिन है ख़राबों में मिलें