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चुप क्यों हो,क्यों मुझसे बात नहीं करते, लफ्ज़ों में

चुप क्यों हो,क्यों मुझसे बात नहीं करते,
लफ्ज़ों में अपने जज़्बात नहीं भरते,

चुपके चुपके नींद को भर कर आँखों में,
सिरहाने पर चाँदनी रात नहीं रखते,

कितनी आसानी से दिल ले बैठे हो,
यूँ अपनों से शय और मात नहीं करते,

हाथों की रेखाओं में तुम शामिल हो,
हाथों में क्यों अब भी,हाथ नही रखते,

जलते अश्क़ों को दामन मत छूने दो,
अंगारों पे यूँ ....बरसात नहीं करते,

यादें अक़्सर तन्हाई को डसती हैं,
दिल की तह में ये सौग़ात नहीं रखते,

"प्रीत" हैं बाक़ी ग़म में डूबी कुछ रातें,
ख़त्म क्यों दूरी के लम्हात नहीं करते,
©प्रतिष्ठा"प्रीत"










 #yourquotedidi #mythoughtsandme
चुप क्यों हो,क्यों मुझसे बात नहीं करते,
लफ्ज़ों में अपने जज़्बात नहीं भरते,

चुपके चुपके नींद को भर कर आँखों में,
सिरहाने पर चाँदनी रात नहीं रखते,

कितनी आसानी से दिल ले बैठे हो,
यूँ अपनों से शय और मात नहीं करते,

हाथों की रेखाओं में तुम शामिल हो,
हाथों में क्यों अब भी,हाथ नही रखते,

जलते अश्क़ों को दामन मत छूने दो,
अंगारों पे यूँ ....बरसात नहीं करते,

यादें अक़्सर तन्हाई को डसती हैं,
दिल की तह में ये सौग़ात नहीं रखते,

"प्रीत" हैं बाक़ी ग़म में डूबी कुछ रातें,
ख़त्म क्यों दूरी के लम्हात नहीं करते,
©प्रतिष्ठा"प्रीत"










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