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साँसो की डोर टूटने वाली थी की.. तेरी याद ख्वाब से

साँसो की डोर टूटने वाली थी की..
तेरी याद ख्वाब से छुटनी वाली थी कि..

में जा रहा था फिर सब से दूर..
मेरे पंखे से रस्सी लटकने ही वाली थी कि..

उसकी शादी होने वाली थी किसी से..
वो अपने हाँथ कि नस काटने वाली ही थी कि..

तेरे सारे ख्वाब मुझसे दूर हो गये थे..
मेरी तो नींद ही टूटने वाली थी कि..!!

©Ritesh Raikwar
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