तुम्हें भूलाने भी न हो मयकशीं नशा तो तुम ही हो मेरे हम नशीं सावन चल रहा बुझी ना प्यास अधरों से बरसा मेघ भर दे साँस याद आए आलिंगन की गर्माहट मेरे बैचेनी को कैसे मिले राहत तन,मन पर हैं छपे तेरे निशान बेजान है शरीर भर दे मेरे प्राण कब होगा ये लुका छुपी का अंत विराहग्नि में जल बन जाऊ संत वियोग श्रृंगार रस Pata nhi kya likha hai viyog ras hai ya kuch aur hi🙄 #aggobai #कोराकाग़ज़ #kkकाव्यमिलन #कोराकाग़ज़काव्यमिलन