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कभी हंसी बनकर आतें होठों पर जज्बात, कभी आंसू बनकर

 कभी हंसी बनकर आतें
होठों पर जज्बात,
कभी आंसू बनकर आतें
आँखों में जज्बात,
जज्बात अगर हैं तो
बेकार भी बेहतर हो जायेंगे,
जज्बात अगर नहीं तो
इंसान भी पत्थर हो जायेंगे,
 कभी हंसी बनकर आतें
होठों पर जज्बात,
कभी आंसू बनकर आतें
आँखों में जज्बात,
जज्बात अगर हैं तो
बेकार भी बेहतर हो जायेंगे,
जज्बात अगर नहीं तो
इंसान भी पत्थर हो जायेंगे,