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माता लक्ष्मी का बीज मंत्र-ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले

माता लक्ष्मी का बीज मंत्र-ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।। 

“मैया री मोहिं माखन भावै -मधु मेवा पकवान मिठा मोंहि नाहिं रुचि आवे।
ब्रज जुवती इक पाछें ठाड़ी सुनति स्याम की बातें -मन-मन कहति कबहुं अपने घर देखौ माखन खातें।
बैठें जाय मथनियां के ढिंग मैं तब रहौं छिपानी-सूरदास प्रभु अन्तरजामी ग्वालि मनहिं की जानी।। “

यहां कृष्ण माता यशोदा से कह रही हैं कि मुझे माखन बहुत अच्छा लगता है, मुझे शहद, मेवे ,पकवान और मीठा पसंद नहीं है। ब्रज की एक युवती पीछे से सुन रही है और मन में कह रही है कि कभी उसके घर में उसने माखन खाया है, मैं मथनी के पीछे छुप गई, तब कृष्ण वहां आते हैं और माखन खाने लगते हैं। सूरदास कहते हैं कि प्रभु एक पारलौकिक व्यक्ति हैं और वह उस युवती के मन को जानते हैं।
🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' माता लक्ष्मी का बीज मंत्र-ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।। 

“मैया री मोहिं माखन भावै -मधु मेवा पकवान मिठा मोंहि नाहिं रुचि आवे।
ब्रज जुवती इक पाछें ठाड़ी सुनति स्याम की बातें -मन-मन कहति कबहुं अपने घर देखौ माखन खातें।
बैठें जाय मथनियां के ढिंग मैं तब रहौं छिपानी-सूरदास प्रभु अन्तरजामी ग्वालि मनहिं की जानी।। “

यहां कृष्ण माता यशोदा से कह रही हैं कि मुझे माखन बहुत अच्छा लगता है, मुझे शहद, मेवे ,पकवान और मीठा पसंद नहीं है। ब्रज की एक युवती पीछे से सुन रही है और मन में कह रही है कि कभी उसके घर में उसने माखन खाया है, मैं मथनी के पीछे छुप गई, तब कृष्ण वहां आते हैं और माखन खाने लगते हैं। सूरदास कहते हैं कि प्रभु एक पारलौकिक व्यक्ति हैं और वह उस युवती के मन को जानते हैं।
🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹
माता लक्ष्मी का बीज मंत्र-ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।। 

“मैया री मोहिं माखन भावै -मधु मेवा पकवान मिठा मोंहि नाहिं रुचि आवे।
ब्रज जुवती इक पाछें ठाड़ी सुनति स्याम की बातें -मन-मन कहति कबहुं अपने घर देखौ माखन खातें।
बैठें जाय मथनियां के ढिंग मैं तब रहौं छिपानी-सूरदास प्रभु अन्तरजामी ग्वालि मनहिं की जानी।। “

यहां कृष्ण माता यशोदा से कह रही हैं कि मुझे माखन बहुत अच्छा लगता है, मुझे शहद, मेवे ,पकवान और मीठा पसंद नहीं है। ब्रज की एक युवती पीछे से सुन रही है और मन में कह रही है कि कभी उसके घर में उसने माखन खाया है, मैं मथनी के पीछे छुप गई, तब कृष्ण वहां आते हैं और माखन खाने लगते हैं। सूरदास कहते हैं कि प्रभु एक पारलौकिक व्यक्ति हैं और वह उस युवती के मन को जानते हैं।
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©Vikas Sharma Shivaaya' माता लक्ष्मी का बीज मंत्र-ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।। 

“मैया री मोहिं माखन भावै -मधु मेवा पकवान मिठा मोंहि नाहिं रुचि आवे।
ब्रज जुवती इक पाछें ठाड़ी सुनति स्याम की बातें -मन-मन कहति कबहुं अपने घर देखौ माखन खातें।
बैठें जाय मथनियां के ढिंग मैं तब रहौं छिपानी-सूरदास प्रभु अन्तरजामी ग्वालि मनहिं की जानी।। “

यहां कृष्ण माता यशोदा से कह रही हैं कि मुझे माखन बहुत अच्छा लगता है, मुझे शहद, मेवे ,पकवान और मीठा पसंद नहीं है। ब्रज की एक युवती पीछे से सुन रही है और मन में कह रही है कि कभी उसके घर में उसने माखन खाया है, मैं मथनी के पीछे छुप गई, तब कृष्ण वहां आते हैं और माखन खाने लगते हैं। सूरदास कहते हैं कि प्रभु एक पारलौकिक व्यक्ति हैं और वह उस युवती के मन को जानते हैं।
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