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किस सोच में बैठे हो तुम, सिर को यू झुकाए। चिंता न

किस सोच में बैठे हो तुम, सिर को  यू झुकाए।
चिंता नहीं ,चिंतन करो,कह गए ज्ञानी ध्यानी।
थक हार कर बैठ जाना नहीं कोई बुद्धिमान है।
चिंता नहीं, चिंतन करो कह गए ज्ञानी ध्यानी
सोचो ,सोचो कहां कमियां रह गई, जिस से हुई हार तुम्हारी 
मंथन कर आगे बढ़ो, मंथन कर आगे बढ़ो 
चिंता नहीं, चिंतन करो कह गए ज्ञानी था ध्यानी।
अल्फ़ाज़ मेरे ✍️🙏🏻🙏🏻

©Ashutosh Mishra
  #“विचारधारा”

#“विचारधारा” #कविता

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