खेल के आखिरी पड़ाव पर, कलम छोड़ कुछ जिस्म भी बिछ गए, जीतने की इस बेताबी में, ना देखने लायक पृष्ठ भी खुल गए, सृजन की लकीर (Creation Streak) लगी टूटने, कदम कदम पर लग रहे पैबंद हैं, यह जानते,इस रेस का अंत भी बेअंत है, मुस्करा दी कलम, होंठ उसके शुष्क थे, मूक मुस्कराहट मात्र नहीं ठठोली है, इस के पीछे हर कलम की दर्द भरी बोली है। ©Harvinder Ahuja #बेबस कलम udass Afzal Khan Dhanraj Gamare अब्र The Imperfect vimlesh Gautam