सर्वग्य है फिर भी दुआ में उनके हुस्न की बरकत मांगता हूं मैं। महज़ जिस्म हासिल हो तेरा उन्हें, रूह-ए-मुहब्बत की सोहबत मांगता हूं मैं। जिस घड़ी किसी ओर के मुकद्दर के नाम होएगी तू.... उस पल में ख़ुदा से मोत की मूहरत मांगता हूं मैं। ©Vivek #Wish Jamuna Dahal