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था तेरे प्यार की दस्तक सुन कर। मदहोश थी मैं तेरे प

था तेरे प्यार की दस्तक सुन कर।
मदहोश थी मैं तेरे प्रेम के राग की धुन पर।
पर वो दस्तक और धुन सब धोखा दे गई,
खोल के मेरे दिल का दरवाजा....
मेरा सुख चैन सब लूट कर ले गई।
आए थे तो यूं तबाही  कर के तो ना जाते,
अब तो इस दरवाजे को हमेशा बंद कर के रह गई।
अब ना किसी की दस्तक ना कोई शोर सुनता है,
दरवाजा बंद कर अब यह दिल ना कोई सपने बुनता है।

©Vasudha Uttam
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