हालत अपनी तंग है, फूटी कौड़ी ना संग है मजबूर हैं ऐसे हालातों से ना कुछ चलने का ढंग हैं ना चहरे पर कोई मुस्कराहट ना ही कोई ख़ुशी का रंग हैं बेघर हो रखे है गरीबी से फूटी कौड़ी ना संग हैं ना कोई युद्ध का मैदान हैं अपनी किस्मत से ही जंग हैं हालत अपनी तंग हैं फूटी कोड़ी ना संग हैं "गरीबी का मारा बेचारा...