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लाख जतन करके देखा, क्यों कुछ भी बोल नहीं पाते

लाख जतन  करके देखा, क्यों  कुछ भी  बोल  नहीं  पाते हो,
टकटकी निगाहों से घूरती दीवारें, देखकर नज़रें झुकाते हो।
ना देख  पाऊँगी  मायूसी तेरी, चुभती है मुझे  ख़ामोशी तेरी,
कौन  सा  राज़  दफ़न  तेरे  सीने  में , जो  मुझसे  छुपाते हो।

देखना ख़ामोशी तेरी, तुझे ज़िन्दगी से महरूम  कर जायेगी,
पिघलकर  जज़्बात  तेरी, आँसू  बनकर  बहती ही जायेगी।
ना  रोक  सीनें  में  उबाल  को, उसे  जुबाँ  पर  तो  आने दो,
तोड़कर  सब्र का  बाँध, अपनी‌  जज़्बातों को  बह जाने दो। सुप्रभात,
🌼🌼🌼🌼

🌼आज का हमारा विषय "चुभती ख़ामोशी" एक ऐसा विषय है जो किसी अपने के ख़ामोश होने से जिस पीड़ा का अनुभव होता है, उस अहसास को शब्दों में ढालने का एक प्रयास कीजिए...
आशा है आप लोगों को पसंद आएगा।

🌼आप सब सुबह की चाय की चुस्की लेते हुए लिखना आरंभ कीजिए।
लाख जतन  करके देखा, क्यों  कुछ भी  बोल  नहीं  पाते हो,
टकटकी निगाहों से घूरती दीवारें, देखकर नज़रें झुकाते हो।
ना देख  पाऊँगी  मायूसी तेरी, चुभती है मुझे  ख़ामोशी तेरी,
कौन  सा  राज़  दफ़न  तेरे  सीने  में , जो  मुझसे  छुपाते हो।

देखना ख़ामोशी तेरी, तुझे ज़िन्दगी से महरूम  कर जायेगी,
पिघलकर  जज़्बात  तेरी, आँसू  बनकर  बहती ही जायेगी।
ना  रोक  सीनें  में  उबाल  को, उसे  जुबाँ  पर  तो  आने दो,
तोड़कर  सब्र का  बाँध, अपनी‌  जज़्बातों को  बह जाने दो। सुप्रभात,
🌼🌼🌼🌼

🌼आज का हमारा विषय "चुभती ख़ामोशी" एक ऐसा विषय है जो किसी अपने के ख़ामोश होने से जिस पीड़ा का अनुभव होता है, उस अहसास को शब्दों में ढालने का एक प्रयास कीजिए...
आशा है आप लोगों को पसंद आएगा।

🌼आप सब सुबह की चाय की चुस्की लेते हुए लिखना आरंभ कीजिए।