दूर तलक चली आई हूँ मंज़िल की तलाश में। कुछ छुट गए सपनें, कुछ रूठे है अपनों के बाजार में। ज्यादा कुछ नहीं तलाशती मेरी नज़रे, बस खफ़ा ना हो कोई मुझसे.. मेरा लक्ष्य है चलती जाऊँ, रुके ना कदम चाहे कितनी भी हो थकान मुझे! ठोकर मिले पत्थरों से मगर टूटकर बिखरू ना कभी इस कठिन संसार में! Collab challenge - 6 ➡️ पंक्तिया - 2 - 5 ➡️ समय सीमा - 8:30 am ( 13 June 2021) 👉 इस पोस्ट को हाईलाइट करना ना भूले 👉 इस पोस्ट को लाइक करे 👉 समय सीमा के अंदर रचना प्रस्तुत करें 👉 रचना को पूरा करने के बाद कमेंट बॉक्स में Done कम्मेंट करे वरना आपकी रचना मान्य नहीं होगी