तू है कहाँ, ख्वाबों के इस शहर में मेरा दिल तुझे ढूँढता अरसा हुआ, तुझको देखा नही, तू ना जाने कहाँ छुप गया आओ फिर से हम चले, थाम लो ये हाथ, करदो कम ये फ़ासले ना पता हो मंज़िलों का, ना हो रास्ते तू हो, मैं हूँ, बैठे दोनो फिर, हम तारों के तले ना सुबह हो फिर, ना ही दिन ढले कुछ ना कह सके, कुछ ना सुन सके बातें सारी वो दिल में ही रहें तुमको क्या पता है क्या हो तुम मेरे लिए कहकशा हो तुम, कहानियों की परियों की तरह हो तुम मुझ में आ सके ना कोई इस तरह हो तुम हो यक़ीन तुम मेरा, या फिर गुमान हो तुम आशियाँ हो तुम, मैं भटका सा मुसाफिर और मकान हो तुम मेरी मंज़िलों का एक ही रास्ता हो तुम ढूंढता है दिल तुझे बता कहाँ हो तुम हो जहाँ कहीं भी, आओ पास ताकि आँसू मेरे थम सके याद आ रहे हो तुम मुझे अब हर लम्हे ऐसी ज़िंदगी का क्या जो तुम ज़िंदगी मैं होके मेरी ज़िंदगी ना बन सके ©आनन्द #selflove