कोई मुझे संभाले ऐसा मैं भी सोचती हूं,पर क्यों संभालेगा यह सोचकर अक्सर हंस जाती हूं मेरी कमियों को कोई वैसे ही अपनी जिंदगी में क्यों डालेगा ।। मेरे मजाक को और उसमें छुपी हर बात को कोई क्यों समझेगा । मेरी उदासी को झट से खुशी में बदलने के लिए कोई खुद भी क्यों तड़पेगा।। मैं जैसी हूं वैसी कोई मुझे क्यों अपनाएगा। ख्वाब में भी रखती हूं पर पानी के बुलबुले की तरह स्पर्श कर खत्म कर देती हूं।। मुझे क्यों संभालेगा यह सोचकर आज भी रो देती हूं और फिर हंस देती हूं।। #Dard #solitude #brokensoul #love #jaanitera.blogspot.com