White रब्त ऐसा हो दोनों को.. भुलाना न पड़े दरमियां अपने किसी और को..आना न पड़े मेरे होठों पे किसी लम्स की..ख़्वाहिश है शदीद ऐसा कुछ कर मुझे सिगरेट.. जलाना न पड़े ये नमी जाए तो आँखों की.. हरारत कम हो सर्द-ख़ानों में कोई ख़्वाब..पुराना न पड़े ग़र ज़ुदा होने से ही तुमको..ख़ुशी मिलती है तो यूँ होना कि मुझे फ़िर से.. बुलाना न पड़े हिज़्र ऐसा हो कि.. चेहरे पर नज़र आ जाए ज़ख्म ऐसा हो कि दिख जाए.. दिखाना न पड़े लम्स = स्पर्श शदीद = तीव्र ©Kumar Dinesh #flowers