हर बूंद में इश्क बरस पड़ा मुझ पर बिजली की गड़गड़ाहट जैसे टूट कर काले बादलों की तरह लिपट पड़ा मुझसे भीगे आंचल की तरह,,,,, काश एक शाम भीगी बरसात हो वो मेरे साथ हो बिजली की गड़गड़ाहट से डर कर उसकी बाहों में हो,,,,, कहने को बहुत बातें हो मगर आंखों आंखों में उसकी हर बात लफ्जों से जाहिर हो,,,,, एहसासों के उमड़ते जज्बात हो सैलाब को समेट लूं अपने आंचल में,,,,,,