बिखरे-बिखरे एहसास है, यादों की खुशबू अच्छी है, गीतों में ढल कर ख़ुद ही, गुनगुना रही है मोहब्बत, अब तो मान भी जाओ न, की ये सच्ची सिर्फ सच्ची है। maan bhi jao