मैं जीवन लिखूं, तुम मणिकर्णिका, हरिश्चन्द्र समझना ! मैं सुकून लिखूं, तुम गंगा किनारे समझना ! मैं नाव लिखूं, तुम मल्लाह समझना ! मैं रात लिखूं, तुम अस्सी घाट समझना ! मैं विष लिखूं, तुम नीलकंठ समझना ! मैं इश्क़ लिखूं, तुम बनारस समझना ! #Kaashi