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मोहब्बतें इश्क ऐसी इबादत है, जिसमें ना कोई उम्मीद

मोहब्बतें इश्क ऐसी इबादत है, जिसमें ना कोई उम्मीद है ना कोई बंधन,
जो कर ली किसी से बंदा वह खुदा हैं, हैं यह सच।
पाना उसे यह नहीं है मोहब्बत का धारा स्थल।

जहां अपेक्षाएं हो वहां ना होती यह इबादत, क्योंकि इबादत यानी होना फ़ना है, खुद में उसे पाना है ना कि इस जहां में,
वह मेरा मुझ में है ना कि इस दुनिया में।

वह खुद तो अंदर है मेरे मोहब्बत में मैंने जिसे हैं माना बाहर तो है मेहेज़ मिट्टी का पुतला, उससे क्या मोहब्बतें इश्क़ै इबादत निभाना।

©Chahat Bobade "MOHOBBAT" by CHAHAT BOBADE.

"MOHOBBAT" by CHAHAT BOBADE.

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