रात बेचैन है समंदर समाता ही नहीं शोर करता है बेवजह तो टकराता नहीं चांद आता है ये भी कुछ बताता ही नहीं याद आती है बिन तेरे रहा जाता नहीं दर्द तो ठीक है पर इतना सहा जाता नहीं तुम सुनते नहीं अब मुझसे भी कहा जाता नहीं रंग तो हैं वही खुशनुमा वो मंज़र नज़र आता नहीं दस्तक देती है हवा वो सांझ घर मगर आता नहीं है यहीं आस पास चश्मेबर नज़र आता ही नहीं चांद महका है ज़रा शोख़ ख़्याल ये जाता ही नहीं #toyou #yqwanderingmoon #yqlove #yqmemory #yqnostalgia