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मेरी दुनिया तुझमें थी और तेरी दुनियां मेरे जिस्म

मेरी दुनिया तुझमें थी 
और तेरी दुनियां मेरे 
जिस्म तक ही सीमित थी |
प्यार नहीं था तो बोल देना था
कौन सी जबरदस्ती का थी |
आज तक तो मैने अपना 
हक भी कभी नहीं माँगा ,
जो प्यार में होता हैं |
कहाँ तू बेखबर हैं, 
सब जानकर भी मेरे दिल के
साथ खेलता ही रहा |
मेरी भावनों की भी कद्र 
नही हैं तुम्हारी नज़रों में ,
तुम्हें प्यार नही चाहिए था 
तो कह देते.... 
जिस्म तो बाजारों मे भी बिकता हैं 
फिर मेरे प्यार के साथ 
इतना बड़ा खिलवाड़ तुम कैसे 
करते चले गये... 
तुम मुझे ही मुझसे बैगाना बनाते गए 
अपने झूठे प्यार का
 मुखौटा पहनकर |
               गीता शर्मा प्रणय #बाजार
मेरी दुनिया तुझमें थी 
और तेरी दुनियां मेरे 
जिस्म तक ही सीमित थी |
प्यार नहीं था तो बोल देना था
कौन सी जबरदस्ती का थी |
आज तक तो मैने अपना 
हक भी कभी नहीं माँगा ,
जो प्यार में होता हैं |
कहाँ तू बेखबर हैं, 
सब जानकर भी मेरे दिल के
साथ खेलता ही रहा |
मेरी भावनों की भी कद्र 
नही हैं तुम्हारी नज़रों में ,
तुम्हें प्यार नही चाहिए था 
तो कह देते.... 
जिस्म तो बाजारों मे भी बिकता हैं 
फिर मेरे प्यार के साथ 
इतना बड़ा खिलवाड़ तुम कैसे 
करते चले गये... 
तुम मुझे ही मुझसे बैगाना बनाते गए 
अपने झूठे प्यार का
 मुखौटा पहनकर |
               गीता शर्मा प्रणय #बाजार