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#OpenPoetry *काला धागा* "आज-कल वो पायज़ेबे नही पहनत

#OpenPoetry *काला धागा*
"आज-कल वो पायज़ेबे नही पहनते
एक काले धागे से कहर बरसा रहे हैं
कौन समझाए उनको, कितनी खामोशी से
अब वो इस दिल की धड़कने बढ़ा रहे हैं
उनकी हँसी ही काफी थी, मेरा चैन चुराने के लिए
काले धागे से वो सोने पे सुहागा किये जा रहे हैं
कोई तो रोको उनको, उनकी हसीन अदाओं के लिए
जाने किन-किन धड़कनो पर, वो खंज़र चला रहे हैं
बेखौफ़ होकर वो, इस शहर के सभी आशिकों का
सरेआम बड़ी बेदर्दी से, क़त्ल किये जा रहे हैं
खूबसूरत उनके पैरों से लिपटे धागे की गलती की सज़ा
जाने क्यों वो, अपने क़दरदानो को दिए जा रहे हैं
पायज़ेबे शोर करके, सबका ध्यान खींचा करती थीं
ख़ामोशी से काले धागे, पैरों का साथ निभा रहे हैं
खूबसूरत एड़ियों के ऊपर लिपटा वो धागा भी क्या करे
वो कहता है कि बुरी निग़ाहों से इन पैरों को बचा रहे हैं।" #OpenPoetry #काला_धागा #love #feelings #mylove
#OpenPoetry *काला धागा*
"आज-कल वो पायज़ेबे नही पहनते
एक काले धागे से कहर बरसा रहे हैं
कौन समझाए उनको, कितनी खामोशी से
अब वो इस दिल की धड़कने बढ़ा रहे हैं
उनकी हँसी ही काफी थी, मेरा चैन चुराने के लिए
काले धागे से वो सोने पे सुहागा किये जा रहे हैं
कोई तो रोको उनको, उनकी हसीन अदाओं के लिए
जाने किन-किन धड़कनो पर, वो खंज़र चला रहे हैं
बेखौफ़ होकर वो, इस शहर के सभी आशिकों का
सरेआम बड़ी बेदर्दी से, क़त्ल किये जा रहे हैं
खूबसूरत उनके पैरों से लिपटे धागे की गलती की सज़ा
जाने क्यों वो, अपने क़दरदानो को दिए जा रहे हैं
पायज़ेबे शोर करके, सबका ध्यान खींचा करती थीं
ख़ामोशी से काले धागे, पैरों का साथ निभा रहे हैं
खूबसूरत एड़ियों के ऊपर लिपटा वो धागा भी क्या करे
वो कहता है कि बुरी निग़ाहों से इन पैरों को बचा रहे हैं।" #OpenPoetry #काला_धागा #love #feelings #mylove